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जब मानवजाति मेमने की पत्नी यानी आत्मा की दुल्हिन स्वर्गीय माता के पास जाती हैं, तब वे जीवन का जल(अनंत जीवन) सेंतमेंत पाकर स्वर्गीय राज–पदधारी याजक बनने की आशीष पा सकती हैं। जब माता के जीवन का जल पूरे संसार में बहेता है तब जाति जाति के लोग चंगे होते हैं और चूंकि माता, इसलिए हम और पूरा संसार एक दूसरे के साथ जुड़ सकते हैं।